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मोहम्मद कलीमुल्लाह  के मेज़बानी में और शिव नारायण शर्मा जी के नेतृत्त में एक लीगल और टेक्निकल टीम मुंब्रा के बे-घर हो चुके हैं और आगे बे-घर होने वालों के मदद के लिए फैक्ट फाइंडिंग के लिए आप के बस्ती में आ रहे हैं.



फैक्ट फाइंडिंग टीम: भ्रष्टाचार विरूद्ध जागृति अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव नारायण शर्मा,अभिवक्ता मुनाफ खान साहब,अभिवक्ता अमीना खान साहिबा भ्रष्टाचार विरूद्ध जागृति अभियान कि महासचिव सोनिका क्रांतिवीर साहिबा,क्रांतिवीर शेरअली शैख़ साहब और साथ में इस्माईल बाटलीवाला.


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समय: :---------------


अस्थल: ---------------


फैक्ट फाइंडिंग के मुद्दे।


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा ऋण राशि के दुरुपयोग और फंड की अनियमित निकासी को रोकने के लिए लगातार निम्न दिशानिर्देश और सर्कुलर जारी किए हैं। 


1. ऋण की राशि निर्माण की प्रगति से जुड़ी होनी चाहिए और बिना स्थल निरीक्षण के एकमुश्त या अग्रिम रूप से पूरी राशि का वितरण नहीं किया जाना चाहिए।

2. बिल्डिंग प्लान, RERA रजिस्ट्रेशन और कमेंसमेंट सर्टिफिकेट जैसे आवश्यक अनुमोदनों के बिना किसी भी प्रकार का ऋण वितरण नहीं किया जाना चाहिए।

3. जब तक खरीदार को कब्जा और ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट (OC) प्राप्त न हो, तब तक उस पर EMI चुकाने का दबाव नहीं डाला जा सकता।

4. सबवेंशन स्कीमों को सख्ती से नियंत्रित किया जाए, और उसमें बिल्डर व वित्तीय संस्था की स्पष्ट जिम्मेदारी तय की जाए।

5. ऋण समझौते पूरी तरह पारदर्शी होने चाहिए, और उसकी एक प्रति उधारकर्ता को देनी अनिवार्य है जिसमें सभी शर्तों और न्यायिक क्षेत्राधिकार की जानकारी स्पष्ट रूप से हो।

6. किसी भी स्थिति में उधारकर्ताओं से ब्लैंक चेक या बिना तारीख के दस्तावेज़ नहीं लिए जाने चाहिए।

RBI ने यह भी स्पष्ट किया कि ये सभी निर्देश घर खरीदारों के हितों की रक्षा और हाउसिंग फाइनेंस सिस्टम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के उद्देश्य से जारी किए गए थे

मुख्य निर्देश:

• HFCs को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई कब्जा या ओसी (Occupation Certificate) न होने की स्थिति में EMI शुरू न हो।

• ग्राहकों को पूरा खुलासा (full disclosure) और ऋण दस्तावेज की प्रति दी जाए।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी सर्कुलरों का हवाला देते हुए कहा कि इनके उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा, और जिन वित्तीय संस्थानों ने इन नियमों की अनदेखी की है, उन पर नियामकीय और दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।




माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा  इसी प्रकार के एक अन्य मामले में CBI को यह निर्देश दिया गया है कि वह निम्न बिंदुओं पर प्राथमिक जांच (PE) तत्काल और प्राथमिकता के आधार पर शुरू करे:

• रियल एस्टेट डेवलपर्स (विशेष रूप से Supertech Ltd.) और वित्तीय संस्थानों के बीच मिलीभगत की जांच।

• हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई ऋण राशि के दुरुपयोग और फंड डायवर्जन (अन्यत्र ले जाने) की जांच।

• RBI के दिशानिर्देशों का उल्लंघन और उधारकर्ताओं (homebuyers) के अधिकारों को दबाने की घटनाएं।

• ऐसे सबवेंशन स्कीमों की जांच, जो जानबूझकर खरीदारों को धोखा देने या आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए बनाई गई थीं।

यह जांच Amicus Curiae की रिपोर्ट में उल्लिखित NBFCs, HFCs और बैंकों को ध्यान में रखते हुए की जानी है,


मुंब्रा में जो लोग बे-घर हो चुके हैं, या जिनको बे-घर होने का खतरा है उनसे गुज़ारिश है कि इन दस्तावेज़ों में से जो भी आप के पास हों उसका जेरॉक्स कॉपी तैयार रखें और हमारी टीम को पेश करने कि कोशिश करें।


बिक्री का एग्रीमेंट.मकान की रजिस्ट्री दस्तावेज़.मकान खरीदी के समय जो दस्तावेज़ जमा किये.बिल्डर को दिए गए पैसे की रसीदें.सोसायटी का पैसे की रसीदें.सोसायटी का शेयर सर्टिफिकेट.बिजली/पानी का बिल रसीद.नगरपालिका का टैक्स रसीद.बैंक लोन के दस्तावेज़.सातबारा व प्रॉपर्टी कार्ड.कॉर्पोरेशन से मंज़ूरशुदा नक्शा/प्लान)टाइटल सर्टिफिकेट.बिल्डिंग बनाने की परमिशन.बिल्डिंग में रहने की परमिशन.कोर्ट के आदेश पत्र.



मुंब्रा में इमारतों को अवैध बता कर बड़ी शिद्दत से तोड़क कार्रवाई हो रही है और उसकी वजह से हजारों लोग बे-घर हो रहे हैं इसलिए हमारी लीगल और टेक्निकल टीम के लोग फैक्ट फाइंडिंग के लिए बहुत जल्द मुंब्रा आ रहे हैं, इनके रिपोर्ट के बाद अगले कदम का खुलासा करेंगे.


मुंबरा पोलिस,मसजिदों के इमाम और एक्टिविस्ट से सहयोग कि गुज़ारिश है.


इस्माईल बाटलीवाला.



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