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Showing posts from April, 2022

ईद-उल-फितर का दिन कोई जश्न मनाने का दिन नही है।

ईद-उल-फितर का दिन कोई जश्न मनाने का दिन नही है,और उस दिन किसी तरह का जश्न नहीं मनाया जाता है।बल्कि एक मिशन के कामयाब होने के बाद शुकराना अदा करने का दिन है। रमजान बुराइयों को छोड़ने के ट्रेनिंग का महीना है और रोजादार बुराइयों को छोड़ने का ट्रेनिंग लेता है और 30 दिन की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसे फितरी खुशी हासिल होती है।और इस दिन साफ सूफ लिबास में वह दो रकात शुकराना अदा करने ईदगाह जाता है। गरीबी और मिस्किनी भी एक सामाजिक बुराई है और इस बुराई के खात्मा के लिए एक फंड का प्रबंध किया गया है जिसका नाम है फितरा जो परिवार के सभी सदस्य पर लागू है। अपनी फितरी खुशी में यतीम मिसकीन,निर्धन,ग़रीब,मुहता,लाचार,माजूर और परेशान हाल को शामिल करना ही ईद-उल-फितर का मकसद है। जो लोग ईद-उल-फितर के दिन काली पट्टी लगा कर समझते हैं की वह लचारों और मजबुरों की हिमायत में हैं,वह लोग नासमझी कर रहे हैं और ईद-उल-फितर के मकसद की दिशा बदल रहे हैं। इस्माईल बाटलीवाला

देश भर मे धार्मिक दंगा फसाद नही होता हैं

देश भर मे कभी भी धार्मिक दंगा फसाद नही होता हैं बल्की सत्ता पक्ष और विपक्ष का शक्ति परीक्षण होता है जो आम आदमी पर आजमाया जाता है. दंगा फसाद,सत्ता पक्ष और विपक्ष की मरजी के बेगेर नही हो सकता है,और अगर कभी अचानक हो भी गया तो कानूनी तंत्र के जरये तुरंत रुक सकता है.मगर सत्ता पक्ष और विपक्ष के शक्ति परीक्षण वाले दंगो में कानूनी तंत्र सत्ता पक्ष के साथ खड़ा नजर आता है। मुस्लिम की हाई प्रोफाइल लीड़र भी चाहते हैँ के दंगा फसाद हो तभी तो हमारी तमाम कोशिश के बाद भी अभी तक मुत्ताहिद होकर दंगा फसाद की तदबीर करने के लिए एक साथ नहीं बैठे क्यूं की इनकी भी राजनीत मुसलमानो की लाश पर चलती है,ताकी वह लोग भी धरना प्रदर्शन कर सके और फोटो खिचवाने पहोचें और पूरी कौम को बताया सकें की कौम से बहुत हमदर्दी है। इसमाईल  बाटलिवाला

ईद मिलन का संदेश।

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ईद के दिन का मिलन और ईद मिलन समारोह करने वालों को संदेश। ==================== ईद मिलन का प्रोग्राम इश्लाहे मुआशरा से ताल्लुक रखता है इसलिए ईद मिलन करते वक़्त मुआसरे के मेल मिलाप को ध्यान में रखना चाहिए और किसी तरह के भेद भाव से दूर रखना चाहिए। ईदुल फितर का मफहूम होता है की अपनी खुशी में सबको शामिल करना मगर हम लोग सबको शामिल नहीं कर सकते हैं तो अपने पड़ोसियों को शामिल कर सकते हैं,और अपने घर से चारो तरफ के चालीस चालीस घर पडोसी होते हैं,और इन सभी परिवारों को शामिल करना सब के लिए मुश्किल है मगर जो लोग इन सभी परिवारों को शामिल कर सकते हैं उनको यह करना चाहिए।   ईद मिलन के असल हकदार पड़ोसी होता है और गरीब,यतीम, मिस्कीन होता है चाहे वह किसी भी बिरादरी से या किसी भी धर्म से ताल्लुक रखता हो,और वह सामाजिक गुनहगार भी हो सकता हो,आप का विरोधी भी हो सकता है।अगर पडोसी और गरीब, यतीम, मिस्कीन के परिवार शामिल नहीं किये जाते हैं तो ईद मिलन का मकसद नाकाम हो जाता है और इसका जो सवाब मिलना चाहिए वह नहीं मिल पता है। जो लोग अपने सिर्फ चार पड़ोसी के परिवारों को भी अपनी खुशी में शामिल करें तो ...

18 saal ka bachcha aur Ismail Batliwala me farq nahi rahega.

18 saal ka bachcha aur Ismail Batliwala me farq nahi rahega. """"""""""""""""""""""""" ham jo mission chala rahe hain bina fund ke chala rahe hain. kabhi kisi ne ham ko fund mangte aur kisi tarah ka support mangte nahi dekha hai aur kamyab mission chal raha hai. ham ne kabhi kisi ko ek rupya diya nahi hai aur kabhi kisi se ek rupya liya nahi hai aur fir bhi kamyab mission chal raha hai. agar fund ki badolat mission chalana hota to 18 saal ka bachcha bhi chala sakta hai fir hamare tazurbe me aur bachche me kya farq hota? fund ki badawlat chalne wala mission fund dene wale ke hath me hota,jab tak wo fund dega mission chalega warna band ho jayega. ham ne aise mission ki bunyad daali hai jo fund dene wale ka mohtaj nahi hai aur gareeb se gareeb log isko chala sakte hain jo kabhi band nahi hoga. Ismail Batliwala

सियासत स्वदेशी है राजनीति विदेशी है।

सेवा में,  सम्मानित, श्रीमान जनाब इस्माइल बाटलीवाला साहब जी, विदेशी पोलटिक्स पिछले 73 सालों भारत देश का पूरा स्वरूप ही खराब कर दिया है अगर हम विदेशी पॉलटिक्स सिस्टम नही अपनाते तो देश के ये हालात नही होते।  सियासत  पूरी तरह स्वदेशी है और देश की जनता की खुशहाली व बेहतरी के लिए काम कर रहा हूँ,विदेशी पॉलिटिकल सिस्टम ने देश को जख्मी बना दिया देश चरित्र को खराब कर दिया ह।  हम आपकी बात से पूरी तरह से सहमत है जब तक स्वदेशी पॉलिक्स सिस्टम को नही अपनाया जायेगा तब तक व्यवस्था किसी भी कीमत पर नही सुधरेग।  आज देश की राजनीति अग्रेजो के सिस्टम पर चल रही हैं आम जनता गांव गरीब किसान मजदुर का शोषण हो रहा है और जब ये शोषण अग्रेजो के समय मे हो रहा था।  आज  फिर आजादी कैसी है लोग पहले गोरे अग्रेजो के गुलाम थे आज काले अग्रेजो के गुलाम है आजादी व स्वतंत्रता केवल कहने मात्र है, देश के लोगो को विदेशी व स्वदेशी राजनीतिक सिस्टम को समझना होगा नही तो आगामी समय मे हालात और खराब होंग।  हम  सियासत चाहते हैं राजनीति नही चाहते हैं क्यों की सियासत स्वदेशी है राजनीति विदेशी है,य...